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Showing posts from October, 2021

Whatsapp इन koma

 दुनिया थम सी गई ,कोमा में वो जो चला गया । ना corona हुआ ना ,delta पर वो तो गुमसुम हो चला। सबमे प्यारा whatsapp  हमारा,अचानक से खामोश जो हो चला। सभी बेचैन है  , संपर्क टूट  गया। बेचारे duo ,hangouts, अब गतिशील है, कोई zoom में तो कोई  insta में मसरूफ है, Groups सारे दुखी है,forward messages अब नही सक्रीय है। देखो हम सब को आदी बना कर ,whatsapp दगा दे गया। खुद खामोश हो कर हमें बेचैन कर गया।।लोमा।।

रेत सी ज़िंदगी

 मुठी में भरे रेत सी ,फिसलती ये ज़िंदगी, कल तक बड़ी गतिशील थी,आज थम सी ये ज़िंदगी। रिश्तों से लबालब थी ये ज़िंदगी, आज गैरों की मोहताज है ये ज़िंदगी। कुछ पल पहले,हसीन थी ये ज़िंदगी। देखो अब तो इक ख्वाब सी  है ज़िंदगी। पल में देखो इसने खेल कैसा खेला, संग अपने थे सभी पर,  अब मेरा चित्त भी न साथ देता, कल की नही ख़बर ,  बस आज का अफसाना है। लेटे हुए जिस्म को बस , फिर इक बार गतिशील बनाना है। समझ आया इसका मोल ये थी मेरी ज़िंदगी। नासमझी में जो हल्के में लिया , ये थी  बड़ी अनमोल मेरी ज़िंदगी। मुठी में भरे रेत सी ,फिसलती ये ज़िंदगी, कल तक बड़ी गतिशील थी,आज थम सी ये ज़िंदगी।।लोमा।।