जननी और जाई
एक है नारी जो दूं रूपों में है मुझे प्यारी, एक ने मुझ को जन्म दिया,दूजी है मेरी कोख जाई। एक लुटाए मुझ पर प्यार, दुजी लूट ले जाए मेरा सारा प्यार। एक सवारे जीवन मेरा, समझौतों संग करे प्यार, दूजी का सवारु मैं जीवन,करे लाड, जताए हक पाए मेरा सारा प्यार। एक सुन कर आवाज़ मेरी ,जान जाए मेरे दिल का हाल, दूजी पढ लेती चेहरा मेरा,और जान लेती मेरे दिल का हाल। मेरी जुदाई का सोच एक की आंखें हो जाती है नम हर बार। दूजी की विदाई पर ,मेरे अश्रु बह जाते हैं चुपचाप बारंबार। एक कल था मेरा,और दूजा कल मेरे भविष्य का सरताज। दोनो मिल जाते जब ,तस्वीर मेरी बन जाती पूरी हरबार। काश मैं उन दोनों जैसी हो पाती, जननी और जाई की प्रीत है प्यारी। दोनों रूपों में वो है प्यारी ,मेरी जननी और मेरी जाई।। लोमा।।