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Showing posts from December, 2021

जननी और जाई

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   एक है नारी जो दूं रूपों में है मुझे प्यारी, एक ने मुझ को जन्म दिया,दूजी है मेरी कोख जाई। एक लुटाए मुझ पर प्यार, दुजी लूट ले जाए मेरा सारा प्यार। एक सवारे जीवन मेरा, समझौतों संग करे प्यार, दूजी का सवारु  मैं जीवन,करे लाड, जताए हक पाए मेरा सारा प्यार। एक सुन कर आवाज़ मेरी ,जान जाए मेरे दिल का हाल, दूजी पढ लेती चेहरा मेरा,और जान लेती मेरे दिल का हाल। मेरी जुदाई का सोच एक की आंखें हो जाती है नम हर बार। दूजी की विदाई पर ,मेरे अश्रु बह जाते हैं चुपचाप बारंबार। एक कल था मेरा,और दूजा कल मेरे भविष्य का सरताज। दोनो मिल जाते जब ,तस्वीर मेरी बन जाती पूरी हरबार। काश मैं उन दोनों जैसी हो पाती, जननी और जाई की प्रीत है प्यारी। दोनों रूपों में वो है प्यारी ,मेरी जननी और मेरी जाई।। लोमा।।

ये कैसी सजा"मृत्यु"

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एक दिन तो आना है,इक दिन ये आयेगी सोचा नहीं था पर इतनी जल्दी हमे अपने आगोश में ले जायेगी।। मृत्यु के सेज पे लेटा ,जब अपनों को पास पाया। अपने प्रियजनों का तब मैं एहसास था कर पाया। बेजान समझ वो मुझको , कुछ पल सबने अफसोस जताया। फिर  उनकी फुसफुसाहट ने , मुझ बेजान में जैसे उत्सुकता का एहसास फिर जगाया। आदमी था, आखिर कुछ घड़ी पहले तक, आशा और  विलास का प्यासा था ,तब तक। फुसफुसाहट बढी ,मेरी उत्सुकता के संग, काठ पर लेटे , निर्जीव काया में, इकआस फिर कुम्हलाया तब। सोचा चलो सुनते है,चुपके से सबकी बातें, अपनों के मन की और कुछ औरों की बातें। फिर कुछ देर में ,आत्मा जो सजीव थी, रो पड़ी इन बातों से तब। अभी चिता भी नही सजी मेरी थी तब तक। मेरी जमा पूंजी का जायजा लिया जाने लगा था हद तक। फिर कुछ निरीह से आवाज सुनने में आई , मेरी अर्धांगिनी  थी ,जो मेरे बिन ,बेसुध सी करती रुलाई। बच्चे मेरे ,दुख अपना समेटे थे , कभी मां को तो कभी दुनियादारी को संभाले थे। प्यारा सा संसार मेरा बिखर सा गया था, मैं तो शांत लेटा पर मेरे घर में कोहराम मचा गया था। फुसफुसाहट फिर हुई,कुछ उत्सुकता फिर जगाई। किसी को कहते सु...