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बेनाम प्यार

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  मै जो कहानी बताने जा रही हूँ वो इस आधुनिक  जमाने की नहीं है, बात उस समय की है जब प्यार शब्द के सुनते ही ,मन में, एक लड़के और एक लड़की की छवि ,या एक माँ और बच्चे की ममता, या  ऐसे ही किसी चित्र की कल्पना करते थे । प्यार तो वो एहसास है जो एक प्राणी दूसरे प्राणी के लिए महसूस करता है । आज का ज़माना  अलग है जब LGBT  गैरकानूनी नहीं है ,आज समाज ऐसे  लोगों को किसी मानसिक बीमारी का शिकार नहीं मानते ।  इस आधुनिक समाज को जागृत करने के लिए अब तो हमारी फिल्म इंडस्ट्री  भी अपना प्रयास कर रही है ।पता नहीं क्या सही है क्या अप्राकृतिक है । जो हमारी समझ में आए, वही दिल मानता है बाकी सब के लिए हमारा मन, विरोध करने के बहाने सोचता है और गलत करार देता है/  तो चलिये आप को वो कहानी सनाती हूँ जब मैं 8 साल की थी, अभी के उम्र की गणना न करते बैठे  जनाब ,मेरी कहानी पर ध्यान दे ,अब तो उम्र इतनी हो चली की बाल भी  पक गए ।  बात उस समय की है जब मैं अपने घर पर खेल रही थी/ और हमारी पड़ोस  वाली  काकु आयी हुई थी  । ये उनके रोज़ की ही दिनचर्या थी ,आखिर आज...

बेदर्द उम्र

उम्र बड़ा बेदर्दी है ,इसकी गिनती दिल को देती तकलीफ है।  ज़रा सा जो जीन्स पहनना छोड़ ,सलवार कमीज में गई दुकान , पीछे से आई आवाज़ आंटी पहले मुझे लेने दो सामान। अचम्भे सी पीछे मुड़ी ,लगा इज़्ज़त हो गई नीलाम, छोटे से बच्चे ने देखो जैसे  एक आवाज़ में लेली हो मेरी जान।  शादी हुई फिर ,समझ आया ,देखो तो रिश्तों का ऐसा सैलाब आया  , चाची , मामी  शब्द लगते बड़े प्यारे ,पर वही अंग्रेजी में कोई कहे आंटी  तो बड़ा जाते उम्र कई साल आगे. गिनती उम्र की कर लेते है , उस इक शब्द में देखो ,लोग सयाने , फिर एक टीस सी दिल में उठती है , और लगता है ये,  उम्र बड़ी बेदर्दी है ,इसकी गिनती दिल को देती तकलीफ है ।  फिर जब मेरे बच्चों की आयी बारी ,उनके दोस्तों से की खूब दोस्ती यारी।  उनका आंटी कहना भी  लगता प्यारा , लगता जैसे दिल तो अब भी बच्चा है हमारा। झटका लगा फिर उस दिन हमको,पड़ोस के काकू की दुल्हन जब बोली आंटी हमको , जतलाया हमने इशारों में उसको भाभी या  दीदी कह सकती हो हमको, नादाँ दिल अभी संभल भी न पाया की ननद की नातिन ने नानी बुलाया , गिनती इक बार उम्र की फिर याद आयी , पर ...