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Showing posts from August, 2020

मुस्कुराहट

 दो लबों की दूरी हूँ मैं , दिल में खुशी हो तो दिखती हूँ मैं । ना कोई जाती ना धर्म , सब पर मेहरबान हूँ मैं।  ना कोई आयू ना वर्ग , सब के जज्बात हूँ मैं।  दिल में है खुशी हो तो मुस्कुराहट हूँ मैं। टूटे हुए ,दिल के गमो को,  छुपाने की राह हूँ मै। दो लबों की खुशी हूँ मैं,  मुस्कुराहट हूँ मैं।  अपने बच्चों को चलता देख , उस माँ के  लबों पर आती हूँ मैं। स्कूल की बेल बजने पर,  बच्चों के होठों पर आती हूँ मैं। सेनानियों की चिट्ठी पाकर,  उनके घर वालों के मुख पर आती हूँ मै।  गमों को छुपाकर जब, मां अपनी औलाद को विदा करती,  तब भी आती हूँ मैं । रूप कई हैं मेरे, पर जब भी आती हूँ मैं, सामने वाले को भी प्रसन्न कर जाती हूँ मैं।  दो लबों की दूरी हूँ मैं , हर दिल को खुश कर जाती  हूँ मैं। मुस्कुराहट हूँ मैं,  दिलों में खुशी हो तो दिख जाती हूँ मै।।                                 ।।लोमा।।

करोना मे दोस्ती

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  दोस्तों के नाम , दोस्ती के नाम, लिखे सभी ने बहुत सारे पैगाम, लिखी कविताएं ,लिखे जुम्ले और किये कई वादे , पर आज का दौर करोना का है।दोस्ती में भी एक सीमा का है।नहीं चाहती गले मिलना हाथ- मिलाना या संग गिलाफ ओढ़ना।  तो देखिये क्या चाहती है दोस्ती।  मैं चला दोस्त के घर,  हो कर परेशान, इस लोकडौन से।  खुला लोकडौन ,हुआ डर थोड़ा कम।  पहुंचा मिलने यार से, फिर एक बार से । बेल बजाया ,उत्तर ना पाया , सोचा होगा टीवी में गुम,  फिर खटखटाया ,आवाज लगाया। भीतर में हुई चहलकदमी ,  कुछ द्वार खुला ,फिर मेरा दोस्त आया,  द्वार पर ही ,उसने मुझे  रुकाया। इशारा किया मास्क लगा , हाथ में उसके सैनिटाइज़र था, मुझे दिया दो बूंद,फिर हाथ साफ कराया । पूछा भाई क्यों आए हो?  मैं बोला , बीते दिन कई ,गपशप लगाए , साथ में तुम्हारे ,चाय पकौड़े खाए। सामान लेने बाहर आया था,  सोचा तुम संग महफ़िल जमाएं।  अंदर झांका ,आंटी और भाभी खड़े थे । बगल में जिनके बच्चे दुबके खड़े थे  ऑन्टी बोली,  बेटा क्या इंटरनेट नहीं चल रहा।  व्हाट्सएप ,हाउसपार्टी से क्या ,   ...

राम मंदिर

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हर युग में देता एक भक्त,                        है अपनी श्रद्धांजलि।  घर मेरा बनवा ही देता,                 और अर्पण करता श्रद्धांजलि ।कभी रामदास ने बनाया,                      मेरा घर भद्राचलम में । आज देखो नरेंद्र ने बनाया ,               अयोध्या में  एक बार से । वादा किया था जो उसने ,        2022 तक देगा घर हर एक को।  शुरूआत किया मुझसे देखो ,                     कर के शिलान्यास वो। बाधाओं को चीर के मानव,                हर युग  रचा इतिहास को । सरल नहीं था घर मेरा। भद्राचलम हो या अयोध्या वो । जातिवाद के भेद भाव को,           इंसानियत देखो लड़ पड़ी वो।  कलयुग के इस काल में देखो ,             घर मेरा भी हुआ, ध्वस्त ...

वो जो याद आते हैं

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Pulwama

धरती पर हुआ बोझ कुछ कम, जहन्नुम में मची अब खलबली। पापियों के विनाश का जो प्रण लिया हिंदुस्तान ने, पुलवामा का बदला भारी पड़ा पाकिस्तान पे, एक जुट हो कर जब हिंदुस्तान उतर गया मैदान में। ईंट का जवाब पत्थर नहीं यह, ये तो है श्रधांजलि। हसते हसते शहीद हुए जो, ये सलामी उन जवानों की। एक दिन का क्रोध नही यह, है बहत्तर सालों की व्यथा। कितने ही सेनानियों की आहुति  राष्ट्र देता है सदा। तब कहीं जो धैर्य आया नमो बन  अपने हिंदुस्तान में। हर युग मे होता है पतन पापियों का इतिहास में । धैर्य से ही तो जीता है हर जंग हिंदुस्तान ने, पापियों के नाश का अब प्रण लिया हिंदुस्तान ने। "देश की रक्षा प्रथम आतंकियों का हो पतन।"।।।लोमा।।