मुस्कुराहट
दो लबों की दूरी हूँ मैं , दिल में खुशी हो तो दिखती हूँ मैं । ना कोई जाती ना धर्म , सब पर मेहरबान हूँ मैं। ना कोई आयू ना वर्ग , सब के जज्बात हूँ मैं। दिल में है खुशी हो तो मुस्कुराहट हूँ मैं। टूटे हुए ,दिल के गमो को, छुपाने की राह हूँ मै। दो लबों की खुशी हूँ मैं, मुस्कुराहट हूँ मैं। अपने बच्चों को चलता देख , उस माँ के लबों पर आती हूँ मैं। स्कूल की बेल बजने पर, बच्चों के होठों पर आती हूँ मैं। सेनानियों की चिट्ठी पाकर, उनके घर वालों के मुख पर आती हूँ मै। गमों को छुपाकर जब, मां अपनी औलाद को विदा करती, तब भी आती हूँ मैं । रूप कई हैं मेरे, पर जब भी आती हूँ मैं, सामने वाले को भी प्रसन्न कर जाती हूँ मैं। दो लबों की दूरी हूँ मैं , हर दिल को खुश कर जाती हूँ मैं। मुस्कुराहट हूँ मैं, दिलों में खुशी हो तो दिख जाती हूँ मै।। ।।लोमा।।