वो जो याद आते हैं

सच है मुझे ,कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।
गुज़रे  हुए पलों को ,
फिर जीने की चाह वो जगाते हैं ।

हर लम्हा वह जो बीत गया ,
शायद वही जिंदगी हो ,का भरम वह दिलाते हैं ।
मिलने को तड़पना ,मिलने पर वह रूठना ।
बेबात पे वो हँसना,
 हर पल ज़िंदगी को जीना ,
वो खेल सारे याद आते हैं ,
वह दोस्त बहुत याद आते हैं 
मेरे हमराज़ थे जो ,
मुझे खुद से, खास थे जो ,
रूठने पर भी, मनाने के इंतज़ार में थे वो ।
हर मज़ा, हर गम, हर लमहे ,
के साझीदार थे वो।
मेरे आलोचक ,शुभचिंतक साथ थे जो।
रोज़ नहीं मिलते ,पर वह साथ वो निभाते हैं।
 हर एहसास का मेरे ,मान वो रख जाते हैं ।
सच है मुझे ,कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।।
                                      ।।लोमा।।

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आपके विचार मेरे लिए प्रेरणा स्तोत्र है।

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