स्वर्ग में सरगम
इंद्रलोक की अफ़सराये, नाचे छम छम छम । पर देखो, कोई सुर भी, ना लग पाते मनमोहनम । देवलोक में भारी विपदा, सुरों का ना हो पाए सरगम। मीठी वाणी, से करें अब कौन, देवताओं को प्रसन्न? तब देखो आया ख्याल, चिंतित इंद्र को। बोले चलो भूलोक हैं जाते, ढूंढ़ लाते किसी को। सारे विश्व में, मीठी हो जिसकी बानी, उसे बुलाते स्वर्ग को। हर राग की जिसको खबर हो , हर शैली की जिसे परख हो, रंगमंच के हर क्षेत्र में, ललित कला के हर खेल में, हो जो नर परिपक्व। चलो उसे लाकर हम भी भर लें , स्वर्ग में मधुर सरगम। देवता भी हो जाए मदमस्त , सुनकर सुरीले नज़्म । नारद मु...