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Showing posts from September, 2020

स्वर्ग में सरगम

इंद्रलोक की अफ़सराये, नाचे छम छम छम । पर  देखो, कोई  सुर भी,                 ना लग पाते मनमोहनम ।  देवलोक में भारी विपदा,           सुरों का ना हो पाए सरगम।  मीठी वाणी, से करें अब कौन, देवताओं को    प्रसन्न?  तब देखो आया ख्याल, चिंतित इंद्र को।  बोले चलो भूलोक हैं जाते,                            ढूंढ़ लाते किसी को। सारे विश्व में, मीठी हो जिसकी बानी,  उसे बुलाते स्वर्ग को।  हर राग की जिसको  खबर हो , हर शैली की जिसे परख हो,  रंगमंच के हर क्षेत्र में,  ललित कला के हर खेल में,  हो जो नर परिपक्व।   चलो उसे लाकर हम भी भर लें ,                            स्वर्ग में मधुर सरगम। देवता भी हो जाए मदमस्त ,                        सुनकर सुरीले नज़्म । नारद मु...

ढाई अक्षर

 हाँ वो गुम थे ,मेरी सोच में  दफन थे। हाँ वो गुम थे। मेरे अपनो की  बातों में,नहीं थे। साथी के ज़ज़्बातों में ,नहीं थे। हाँ वो गुम थे। रिश्तों की महक में वो नहीं थे। बच्चों के ज़िद में भी वो कम थे। इंसानियत में न जाने कँहा दफन थे। इंसानों में अब तो वो कम थे। हाँ वो गुम थे। वो ढाई अक्षर जो गुम थे। हर ज़ज़्बात के बयानों में वो कम थे। बोली में अहसास में भी वो कम थे। हाँ वो गुम थे । वो ढाई अक्षर,ही थे जो गुम थे। हर एक को जोड़ने में जो सक्षम थे। भीड़ में  अपनों का भरम थे। खुश रखने के वो पाबंद थे । हाँ वही ढाई अक्षर " प्रेम "के,  गुम थे।। ।।लोमा।।

हम और अहम

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फोन की घंटी लगातार बज रही थी ,मैं न जाने, कब से अपने सुहाने ,सपनों में खोई हुई थी ।आँख खोल कर देखा खिडकी से सूरज नई सुबह का आगाज़ कर रहा था। उठी और मैंने अपने मोबाइल को चार्जर से हटा कर चेक किया, 7 मिस कॉल्स थे। पर मैं नाम देखकर विचलित हो गई थी, फिर भी नजाने, ना चाहते हुए एक अनजाने से डर के साथ, मैंने कॉलबैक किया, दूसरी तरफ से उसी शक्स की आवाज थी, जिसे मैंने अपनी आजादी के लिए खुद चुना था। आज वही शख्स का कॉल करना ,मुझे कुछ खास पसंद नहीं आया, फिर भी ,अनमने भाव से मैंने वापस कॉल बैक किया था ,फोन की दूसरी तरफ से बार-बार हेलो हेलो ,की आवाज आरही थी, और मैं यथार्थ में लौट आई, उसने बताया मैडम सारी दुनिया सामान्य हो चुकी है ,सारे 10वी तक स्कूल और कॉलेज खुल चुके हैं और अब तो कोर्ट भी शुरू हो गया है, वह बताता गया पर ना जाने कैसे मैं, किन ख्यालों में खो गई थी, एक बार फिर मैडम, मैडम ,हेलो ,हेलो की आवाज ने मुझे जगाया ।  मैंने उससे पूछा, कब की तारीख है ,तो वह बोला -"15 दिन बाद की तारीख मिली है ,फाइनल हियरिंग है,"। आप सही समझे ,यह मेरे लॉयर की आवाज़ थी। आप लोगों को लग रहा होगा क्या चल रहा ह...

मेरी सोच

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  जो होता अच्छे के लिए होता , सोच मेरी   ये फिर एक बार थी आयी। मेरे जीवन काल मे देखो ,हर बात यही है रंग लाई। सकारात्मक सोच  ,था मेरा संबल, विश्वास मुझे उस वजह से आई, न ही मैं कोई संत ,न कोई ज्ञानी , मेरे को तो  सदा ही ,करनी ने थी सिखलाई। ऐसा नहीं कि जीवन सफल था , मुश्किलों से मेरा भी मिलन था, हर दिन मेरा  नया इम्तेहान था , पर फिर भी ,सोच में यही बसा था । जो होता अच्छे के लिए होता है, मेरे विश्वास का यही संबल था। कोई काम  बिगड जाता  जब मेरा, दुख के बादल ,बरस जाते जब मेरे, लगता  जब हारा  मन मेरा, हुए अजनबी सुख जब मेरे। सोच मेरी फिर पंख पसारे, मेरे मन संग उड़ती जाए, विश्वास मुझे  वो हर पल दिलाये, मेरे जीवन मे फिर देखो ,खुशियों की एक उम्मीद जगाये। जो होता अच्छे के लिए होता ,इस आशा के दीप जलाये।।लोमा।।