मेरी सोच

 
जो होता अच्छे के लिए होता
,
सोच मेरी ये फिर एक बार थी आयी।
मेरे जीवन काल मे देखो ,हर बात यही है रंग लाई।
सकारात्मक सोच  ,था मेरा संबल,
विश्वास मुझे उस वजह से आई,
न ही मैं कोई संत ,न कोई ज्ञानी ,
मेरे को तो  सदा ही ,करनी ने थी सिखलाई।
ऐसा नहीं कि जीवन सफल था ,
मुश्किलों से मेरा भी मिलन था,
हर दिन मेरा  नया इम्तेहान था ,
पर फिर भी ,सोच में यही बसा था ।
जो होता अच्छे के लिए होता है, मेरे विश्वास का यही संबल था।
कोई काम  बिगड जाता  जब मेरा,
दुख के बादल ,बरस जाते जब मेरे,
लगता  जब हारा  मन मेरा,
हुए अजनबी सुख जब मेरे।
सोच मेरी फिर पंख पसारे,
मेरे मन संग उड़ती जाए,
विश्वास मुझे  वो हर पल दिलाये,
मेरे जीवन मे फिर देखो ,खुशियों की एक उम्मीद जगाये।

जो होता अच्छे के लिए होता ,इस आशा के दीप जलाये।।लोमा।।



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