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Showing posts from March, 2021

सपना

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   बचपन में सोचा था बड़े हो जाएंगे , औरों की तरह हम भी कुछ कर जाएंगे , सोचा था देश को खुशहाल करेंगे , घर में खुशियों की भरमार करेंगे , सोचा था भूखे को रोटी खिलाएंगे , देश में गरीबी को हम मिटाएंगे , बचपन में सोचा था बड़े हो जाएंगे, औरों की तरह हम भी कुछ कर जाएंगे। सपने थे हमारे कई ढेर सारे, औरों से प्यारे, सब से निराले, सोचा था हम कुछ कर के जाएंगे,, बड़े होकर सब को खुश कर जाएंगे। वो दिन भी आया जब हम बड़े हो गए, पढ़ लिख कर हम ग्रेजुएट हो गए। सोचा था हमने अब हमारी बारी है, देश को खुशहाल करना हमारी जिम्मेदारी है,  बचपन का सपना वो यौवन में टूट गया, सपना था वो सलोना ,सपना ही रह गया। सोचा था हम खुशहाली लायेंगे, बचपन के दौर से जब हम गुजर जायेंगे। पर अब तो ये हाल है की बेहाल है हम, दूसरों पर अपनी रोटी के मोहताज हैं हम। हमारी ही फिकर रहती है अब सबको, कहीं भटक ना जाए ,विदा करें चलो इसको। बदला समाज फिर भी मानसिकता पुरानी, शिक्षा अनिवार्य पर , पराई होत बिटिया रानी। सपने उसके देखो  मुरझाए कली से, सोचा था उसने भी,पैसे कमाएंगे, रोटी खिलाएंगे, जब बड़े हो जाएंगे। बचपन में सोचा था ब...

छह इंच की दुनिया

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वो दिन भी क्या थे ,जब मैं चलती थी,                                                सारे काम वक्त पर करती थी। डिजिटल इंडिया का जोश बड़ा, हाथ मे अनरोइड का फ़ोन लगा, अब ना चलने का सोचती हूं। वक्त पर काम भी न करती हूं। ऑनलाइन सभी काम हो जाते हैं, बैंक हो या बाजार सभी घर पर आते हैं। मसला ऑनलाइन का नही ,डिजिटल इंडिया का दोष नही। बिल भर कर जब उठती हूँ, सोशल मीडिया दस्तक देता है। फिर उसमें जो घुस जाती हूँ, डबल  टिक  ,नीला टिक और ठेंगें पर अटक जाती हूँ। मोहपाश ऐसा की  घर की सुध न लेती हूँ, बच्चे मांगे आलू पूरी ,मैं फटाफट खिचडी परोस देती हूं। कामवाली करोना की दया से अब घर मे नही आती है। फिर भी देखो ,मुझको हर काम में लापरवाही है। काम निबटा कर ,देखो फिर से दुनिया की सुध लेती हूं। घर पर चाहे जितने हो काम, छोड़ Anupama देखती हूँ। सैर सपाटे का तो शायद मतलब भी मैं भूल गई, करोना का बहाना कर के अपने फ़ोन संग मैं सब कूछ भूल गई। छह इंच में दुनिया की खबर लेते हुए ,अपनी दुनिया ...

मौसम और उम्र

दिल बेचैन है तप्ती रूह है,मौसम बदल रहा देखो,  शोर ही शोर है। खिलते गुलाब है,अब सेवंती उदास है, बहार चली गई अब तो ग्रीष्म काल का राज है। मौसम बदलना दस्तूर है,शायद दिल को भी ये कबूल है। पर उम्र के बदलाव पर वही दिल रोता ज़रूर है। बचपन से , बुढ़ापे का सफर ,तो बड़ा ही मस्त है। राह में दोस्त, कॉलीग, और हमसफर का साथ ज़रूर है। हर किसी को चलना होता इसी एक राह पे ज़रूर है। फिर भी देखो अपने उम्र का गुमान आज सब मे ज़रूर है। पलटा  मैं जो अपने राह में ,मुड़ कर  देखने अपना मुकाम। लगा मंज़िल तो अभी पास है पर राहगीर दूर है। साथी केवल वक्त है  ,जो बीते, नही बीत रहा है। उम्र के इस पड़ाव में,हर कोई देखों यों ही जूझ रहा है। अपनी किताब के पुराने पन्नों को खोल रहा हूँ  मैं। अपने साथी, वक्त के संग ,गुज़रे वक्त को सोच रहा हूँ मैं। हर जिम्मेदारी थी इबादत, हर शौक को दबा दिया, आंखें होती मेरी थी ,पर सपना अपनों का दिखा दिया, जिनके खातिर अपने वक्त को देखो मैने खोया है। आज  उन्हीं को मुझे वक़्त की कीमत समझाते देखा है। हर  शख्स की है यही कहानी, इसमे ना उलझना सीखा है। हर वक्त की होती अपनी कीम...

Vaccination

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 डर मेरे दिल का ,लगवाए vaccination, सेहत से ज़रूरी नही कोई mission, दारू नही पिया ,गुटका नही खाया, दो दिन पहले से,सिगरेट नही जलाया। दिल बेचारा आयुष की नसीहतों का मारा, चाह अपनी दबाके ,हिदायतों को अपनाता। मन में विचार कई, 'लेने के देने' न पड़ जाए कहीं। फिर सोचता मेरा ये मन, जब मोदी ने लगवाया , फिर प्रजा को काहे का डर सताया। सही कहा किसी ने 'practice what you preach,' राजा जब पथ प्रदर्शक, तो प्रजा काहे विपरीत।  एक सप्ताह की है पीड़ा , फिर बसाले तू मधुशाला में बसेरा, कोई न तुझ को रोक पायेगा, जीवन तेरा covid मुक्त हो जाएगा । बस तनाव मुक्त हो कर जाना  है , सकारात्मक सोच भी अपनाना है, नींद भी है बेहद ज़रूरी, करनी पड़ेगी थोड़ी आयुर्वेद से भी दूरी। गर हो कैंसर या हालात हो खराब चार हफ्ते का करना पड़ेगा इनतज़ार। 18 से कम की गर हो उम्र,  या ऐलर्जी इन्फेक्शन से शरीर का हो साथ हरदम।  गर्भवती और स्तनपान कराती स्त्री करें कुर्बानी , वैक्सीनशन नही लगवाना अभी मातृत्व तो है covid पर भी भारी। दिल के मरीज हो या ,हो BP ज्यादा, डॉक्टर के परामर्श से ही ,दिल को दें दिलासा। अहम बात है बहुत ज़...