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Showing posts from January, 2020

वो भी क्या दिन थे

वो भी क्या दिन थे खतों में अफ़साने थे, कुछ हमको सनाने थे कुछ उनको सुनाने थे। हर लम्हा उन अफसानों का आज भी जी जाते है| वो मोहब्बत वो कसक उस पल की हमें याद आते हैं| खतों में जो अफ़साने थे वो व्हाट्स एप्प में कहां, डेटा कहीं भर न जाये , ये सोच कर डिलीट कर जाते हैं| भूल जाते हैं प्यार के अफसानों को उन लम्हों को उन जज्बातों को| तब्दीली हर जगह हर उम्र की ख्वाहिश है, पर अब तो भावनाओं और जज्बातों ने स्माइली और मूड्स ने ले डाली है| पसंद आने पे ठेंगा नापसंदगी पर उल्टा ठेंगा| अजीब हो चली है चलन ,सोशल मीडिया ने जो घेरा है | नीली लाइन का साँपा पड़ा बहुतों को भारी , रिश्तों में हुई दरारे गलतफहमियां जो पाली। स्टेटस रखा जो हमने सबने व्यू कर डाला, दिल मे हुई तसल्ली दोस्ते ने सुध तो साधा। बनाये थे कई एफ बी पर दोस्त हमने भी| जिन्होंने हर जन्मदिन पर केक फूलों से न्यौछारा था | महक जिनकी न हम ले सके न मिठास का कोई तकाज़ा था । एक पल का वो जज़्बा था एक पल का अफसाना था। हमने भी रिमाइंडर लगा अपना फर्ज निभाना था । बिना कागज़ कलम के इस दिल का अफसाना सुनना था। न खातों का वो अफसाना था न जज़्बात पुरन...

माँ

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मैं तो माँ हूँ, मैं रुक नही सकती। रुक भी गयी तो,थम नही सकती। मेरे संग है मेरा काफिला, अपने काफिले को रोक नही सकती। सब कहते है तुम तो माँ हो, गलती तुम कर नही सकती। पर मेरी माँ कहती है मुझको, तुम तो हो मेरी बच्ची, गलती तुम से भी हो सकती है, बच्चे माँ की ताकत हैं और ताकत उनकी माँ ही हो सकती है। बच्चे पालूं ,घर मै संभालूं। जरा सा जो मै थक जाऊ, घर मेरा रुक  सा जाता है। हर कार्य बिखर सा जाता है। मेरे अपनों को हो न तकलीफ, यह सोच मुझे ताकत दिलाता है। मैं तो माँ हुँ मैं रुक नही सकती, यह वाक्य मुझे फिर उत्साह दिलाता है।।।लोमा।।।

जिंदगी

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जाने कहाँ से एक हवा का झोंका आया ढेर सारी वो खुशियां लाया। कुछ इसी तरह का एहसास था हमारे दिलों में आज। मेरी सास अपनी खुशी छुपाये नही छुपा पा रही थी।आज उनके पोते और उसकी दुल्हन ने उन्हें जैसे उनके खुशियों की चाबी दे दी हो। शादी के 6 साल बाद उनका पोता उन्हें परदादी होने का सुख देने वाला था ।।। हर तरफ खुशी और हिदायतों का नसीहतों और जिम्मेदारियों का माहौल था।ऐसा लग रहा था जैसे हम सभी अपने तजुर्बों का पिटारा उस बेचारी दुल्हन पर उड़ेलदेना चाहते हों।दिन कैसे बीत गया पता ही नही चला। नई सुबह हुई तो हम सबके मन में नई उमंगे जवां थीं। सासु माँ जो कई सालों से इस खबर के लिए बेचैन थी उनकी बेचैनियों ने जरा रुख बदला अब वो बाकी जोड़ों पर अपना दबाव और इच्छा प्रकट करने लगीं ये सब देख कर ऐसा लगा जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है इंसान की इच्छाओं का कहीं अंत नही होता पढ़ लिख लें तो शादी फिर बच्चे। खुशखबरी सुनाएं तो मन मे खलबली लड़का की लड़की। घर हो तो गाड़ी ।बड़ी अजीब ललक होती है हम सब में कुछ ना चाहते हुए भी बहुत कुछ चाहता है ये मन । लगता है जैसे इन्ही चाहतों के कारण ही हम तरक्की करते हैं...

Kahani

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हर साल की यही कहानी, कैलेंडर नई पर कील पुरानी। कुछ अपने , कछ सपने। हर याद है इक तारीख सुहानी। हर साल की यही कहानी। हर तारीख़ दिलाए याद हमें, बीते साल की कोई बात हमें। तीस दिनों का ये छोटा पन्ना, रखता हर खुशी और गम का कर्मा। पलट जो जाता इक इक पन्ना, फिर याद है बन जाता वो लम्हा, इन पन्नों में बसा इक साल, हर तारीख़ महीना होता है कछ खास। है बसी इसमें इक इक कहानी, हर साल की यही कहानी, कैलेंडर नई पर कील पुरानी।।।। लोमा।।  Happy new year 🎈 Har saal ki yahi kahani Calender nayi par keel purani Kutch apne kutch sapne Har yaad hai ik tareekh suhani Har sal ki yahi kahani Har tareekh dilaye yaad hame Beete saal ki koi baat hame Tees dino ka ye chota panna Rakhta har khushi aur gum ka karma Palat jo jata ik ik panna Fir yaad hi ban jata wo lamha In panno me basa ik saal Har tareeqh maheena hota hai kutch khas Hai basi isme ik ik kahani Har saal ki yahi kahani Calender nayi par keel purani .....loma....