क्या क्या देखा
Date: Dec 6, 1992
Subject: क्या क्या देखा
Subject: क्या क्या देखा
उस वर्ष मैने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।
भाई-भाई को लड़ते देखा,
घरों को मैने बिखरते देखा,
बहनों को मरते देखा,
दोस्तों को बिछड़ते देखा।
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।
धर्म को धर्म से लड़ते देखा ,
राम का अल्लाह से बैर देखा,
भाई को भाई से लड़ते देखा,
देश का खात्मा होते देखा।
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।
निकलता था जिन घरों से
अगरबत्तियों का धुआं,
उन्हीं घरों से काला धुआं निकलते
देखा।
जहां करते थे पाक कुरान की इज़्ज़त,
वहीं पर किताबों को बिखरे देखा।
हिंदुओं के मन मे डर,
मुसलमानों मे खोफ देखा।
भाई का भाई से करते प्रतिशोध देखा।
नेताओं को सत्ता के खातिर लडाते
देखा।
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।
बुझ गया सब कुछ मैंने यह भी देखा,
शांत होते हुए आसमा को भी देखा ,
और तब जमीन पर बहू बेटियों की लाश
को देखा,
पास ही भाईयों के कब्रिस्तान
को भी देखा।
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।
जिसे देख कर आंखें हो गयीं नम ,
मैने वो नज़ारा देखा,
भीगी आंखों से दिल को दहलते देखा
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।।लोमा।।
ना पूछो क्या क्या देखा।
भाई-भाई को लड़ते देखा,
घरों को मैने बिखरते देखा,
बहनों को मरते देखा,
दोस्तों को बिछड़ते देखा।
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।
धर्म को धर्म से लड़ते देखा ,
राम का अल्लाह से बैर देखा,
भाई को भाई से लड़ते देखा,
देश का खात्मा होते देखा।
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।
निकलता था जिन घरों से
अगरबत्तियों का धुआं,
उन्हीं घरों से काला धुआं निकलते
देखा।
जहां करते थे पाक कुरान की इज़्ज़त,
वहीं पर किताबों को बिखरे देखा।
हिंदुओं के मन मे डर,
मुसलमानों मे खोफ देखा।
भाई का भाई से करते प्रतिशोध देखा।
नेताओं को सत्ता के खातिर लडाते
देखा।
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।
बुझ गया सब कुछ मैंने यह भी देखा,
शांत होते हुए आसमा को भी देखा ,
और तब जमीन पर बहू बेटियों की लाश
को देखा,
पास ही भाईयों के कब्रिस्तान
को भी देखा।
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।
जिसे देख कर आंखें हो गयीं नम ,
मैने वो नज़ारा देखा,
भीगी आंखों से दिल को दहलते देखा
उस वर्ष मैंने क्या देखा,
ना पूछो क्या क्या देखा।।लोमा।।
Very nice kavita. Whole country was weeping due to the incident . The feelings of a common man was depicted excellently in this poem.
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