माँ के ख़्याल पुराने हैं
बात इतनी सी है ,बात इतनी सी है कि मां के ख्याल पुराने हैं ,
है तो मां मेरी सहेली पर उसके आदर्श पुराने है ,
नसीहत वही पुरानी, वही पुराने हिदायतें हैं
यही थी सोच मेरी जब तक ना तसव्वुर किया जमाने का
साल बदली सोच बदली पर लोग वही पुराने हैं ।
आज भी लड़की दिल से पराया धन है ,
लक्ष्मी का दिया स्वरूप है ,
अपनाया उसे दिल से कहा सौभाग्य का प्रतिरूप है,
पर अभी उसे समाज से वही तकलीफें पुरानी है ,
बात इतनी सी है मां के ख्याल पुराने हैं ।।
आज भी वो नज़रें चुभती है दफ्तरों में ,बस मैं ,और सिनेमाघरों में,
बस आज उन्हें झेलने की हिम्मत हममें ज्यादा है।
माँ से कहती, सोच बदलो देखो दुनिया बदल गई है ,
मां कहती ,ढंग बदला है ,सोच वही पुरानी है ।
आज भी होता, बलात्कार और सहती केवल नारी है,
पहनावे पर उसकी आज भी उठते तंज़ वही पुराने है ।
बात बस इतनी सी है मां की सोच पुरानी है ।
मैं कहती मां अब हम मिलजुल कर काम करते हैं ,
कभी बर्तन मै, तो कपड़े वो धो लेते हैं ।
ऑफिस से जब आऊं, तो चाय बना लेती हूं ,
पर रात के खाने में, थाली सजी मिलती है ।
फिर भी मां कहती है, ढंग बदला है ,सोच वही पुरानी है,
आज भी लोग पतिव्रता स्त्री पर नहीं,
जोरू के गुलाम पर हँसते हैं।
मां तो मां है गलत हो नहीं सकती ,
और उसकी सोच को मैं बदल भी नहीं सकती ,
यही सोचकर मैंने भी उम्र गुजारी है ,
पर आज अपनी बिटिया को समझाते हुए,
फिर वही बात दोहराई है ,
वही नसीहतें है, वही हिदायतें ,
मैंने भी वही परंपरा निभाई है ,
और इस बार मेरी बिटिया ने सोचा, माँ की सोच पुरानी है ।
रीत नया है, ढंग नया है मां की सोच पुरानी है ।
वही तर्क हैं, वही फ़लसफ़े वही तकरार पुरानी है,
और इस बार मेरी मां नहीं, मेरी सोच पुरानी हैं ।
इसी सोच में ,बदलते दस्तूर में ,
मैने भी दोहराई वही कहानी है,
एक बार फिर बिटिया बोली,
बात इतनी सी है
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आपके विचार मेरे लिए प्रेरणा स्तोत्र है।