करोना मे दोस्ती
दोस्तों के नाम ,दोस्ती के नाम, लिखे सभी ने बहुत सारे पैगाम,
लिखी कविताएं ,लिखे जुम्ले और किये कई वादे ,
पर आज का दौर करोना का है।दोस्ती में भी एक सीमा का है।नहीं चाहती गले मिलना हाथ- मिलाना या संग गिलाफ ओढ़ना। तो देखिये क्या चाहती है दोस्ती।
मैं चला दोस्त के घर,
हो कर परेशान, इस लोकडौन से।
खुला लोकडौन ,हुआ डर थोड़ा कम।
पहुंचा मिलने यार से, फिर एक बार से ।
बेल बजाया ,उत्तर ना पाया ,
सोचा होगा टीवी में गुम,
फिर खटखटाया ,आवाज लगाया।
भीतर में हुई चहलकदमी ,
कुछ द्वार खुला ,फिर मेरा दोस्त आया,
द्वार पर ही ,उसने मुझे रुकाया।
इशारा किया मास्क लगा ,
हाथ में उसके सैनिटाइज़र था,
मुझे दिया दो बूंद,फिर हाथ साफ कराया ।
पूछा भाई क्यों आए हो?
मैं बोला , बीते दिन कई ,गपशप लगाए ,
साथ में तुम्हारे ,चाय पकौड़े खाए।
सामान लेने बाहर आया था,
सोचा तुम संग महफ़िल जमाएं।
अंदर झांका ,आंटी और भाभी खड़े थे ।
बगल में जिनके बच्चे दुबके खड़े थे
ऑन्टी बोली,
बेटा क्या इंटरनेट नहीं चल रहा।
व्हाट्सएप ,हाउसपार्टी से क्या ,
जी नहीं भर रहा ।
वीडियो चैट में मुलाकात हो ही जाती,
चाय पकौड़े अपने घर के होते ,
तब भी गपशप हो ही जाती ।
मैं सोचा, आँटी नाराज़ है ,
कोरोना के, कहर से ,परेशान है ।
पर देखा, मेरे दोस्त का भी यही हाल है।
मुझे करोना का राजदूत समझ ,
वह भी हैरान परेशान है ।
फिर मैंने भी थोड़ी होशियारी दिखायी।
घर में प्रवेश होने के लिए रिशवत दिखाई।
चॉकलेट दिखाया ,बच्चों को ललचाया ।
वे बोले अंकल पहले सैनिटाइज़ ,
फिर कुछ दिन क्वॉरेंटाइन ,
तो क्या फायदा ,आज के इस लालच का,
जब तब तक हर पल दिल हमारा ललचाये ।
भाभी को किया सलाम ,
और पाया रुखा सा पैगाम ।
दो कदम हट कर पीछे ,
इशारा किया दोस्त को ज़रा ,बाहर वो आए।
वह बोला, छोड़ो यार ,काहे घर पर हो आए।
मैसेज करो ,या वीडियो चैट,
हर पल ,हाजिर हो जाऊंगा यार ।
ना आना इस तरह गपशप करने ।
मुझे और खुद को क्वारंटाइन करवाने।
फिर अपनी सोच पर शरमा गया मै।
कदम उठाए घर को, संभल गया मैं।
सच्चा दोस्त वह मेरा, भला चाह रहा था।
थोडा कठोर हो बोला था वो ,
मैं भी शरमा कर पीछे हट गया था।
व्हाट्सएप में बात करने का कह ,
अपनी गलती समझ गया था।
सच है दोस्ती सदा सिखाती,
हर वक्त की विशेषता बताती।
संभाल लिया मुझे भी इसने
करोना पॉजिटिव होने से फिर एक बार ।
मुझे सीख दी घर पर रहकर,
संभाल जा मेरे यार।
सोशल डिस्टेंसिंग रखने की मानी बात,
मोबाइल ही था अब जमघट का आसार।
डिजिटल इंडिया की जय हो बोला ।
तौबा तौबा करते करते हाथ पैर मुह धोया।
सच है दोस्ती बड़ी गजब है,
कभी मीठी तो कभी कड़वी बहुत है।।लोमा।।
Good one hope people shall learn from this too. Mbbs
ReplyDeleteGood one hope people shall learn from this too. Mbbs
ReplyDeleteGood one
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