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Showing posts from November, 2020

Modern भजन

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  अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम ।  कौन कहता है, हमको जीना आता नहीं।  सोशल मीडिया से हमको छुटकारा नहीं । खाने का स्वाद हो ना हो , पर करना ,हमे है दिखावा सही , फोटो उसका खींचकर अपलोड करो तो सही।। दोस्तों से लाइक्स बटोरो कई।  फेसबुक पर लाइक्स का ना  हो जो चलन , हम सजने सवरने में ना होते  मगन। अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम । अम्मा अब्बा का  करो या ना करो तुम कदर,  पेरेंट्स के वीडियो पर दुख जताते  सही। दोस्त बैठा है बगल में, रिश्ते-नाते भी यहीं ,  पर व्हाट्सएप में ही उनके स्टेटस को पढ़ते सभी।  ही हेलो का है दौर, फिर स्माइली भी है।   जो बिना बोले, हमारे भाव, जता देती वह है।  अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी बल्लभम । सारे संसार का हाल एक फ़ोन पर है, देखो सारा विश्व यह वासुदेव कुटुंब ही तो है। देश परदेश की जो भी खबरें ये हैं। वायरल होती देखो सबके फ़ोन पर ही तो हैं। संगी साथी यही आज के दौर का, सबको मिलाये यही ,पर दूरी बढाता तो है। आज कृष्णा भी देखो कहीं ना कहीं, बांसु...

11 nov 2019

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पूरा एक साल बीत गया । पिछले साल आज ही के दिन  मेरे परिवार वालों ने दोस्तों ने  और जानने वालों ने मेरे लिए बड़ी ही दुवाएँ की थी ।सब ने एक जुट हो कर मेरी हिम्मत बढ़ाई और हमें मनोबल दिया था। पर समय कितनी जल्दी बीत जाता है,लगता है जैसे कल की ही बात हो।  दीवाली का दिन था ।सारी तैयारियां हो चुकीं थी।पर अगर मैं  कहूँ की बड़ी  ही मुश्किल से सारी तैयारी की थी, तो गलत न होगा। दीवाली हमारे परिवार में कुछ खास ही मनाई जाती है। सारे पर्व तो जैसे आते और चले जाते हैं, बच्चों की पढ़ाई और पतिदेव की दूसरे शहर में नौकरी के कारण, कभी भी कुछ  मना  ही नही पाती थी। बस दीपावली ही एक ऐसा पर्व था ,जब सारा परिवार मित्र और रिश्तेदार हमारे घर मिलतेथे , और हम पूजा करते। अनेक पकवान और फिर देर रात तक गपशप होती थी। पर पिछले साल मेरी तबियत कुछ ठीक नही थी ।पर मैं ठहरी ढीट ।सब काम सही से निबटा लिये, फिर खटिया पकड़ ली। हुआ यों की   दीवाली के बात रात में तेज़ बुखार हो गया ।छुटकी ने पापा को चुगली कर दी "माँ की  तबियत आजकल आये दिन खराब रहती है आप वापस जाने से पहले डॉक्टर को दिखा दो "...

गुप्त धन और गृह लक्ष्मी

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आज अगर हमारे देश में किसी को सही में नुकसान हुआ है तो वह है हमारी पूजनीय माताओ और बहनों को जिन्होंने  बहुत कटौतियों और मुश्किलों से एक एक पाई जोड़ कर घरेलू काला धन इकट्ठा किया है अमीरों का  क्या उन्होंने तो रातों रात  दुकान खुलवाकर काला धन को पीला सोना बना लिया ।ऊपर से    अब बेंक बंद   है तो अब   हमारी जमा पूंजी सब के नज़र में।😪 । । । । । ये एक पुराना पोस्ट था ,नवंबर2016 का ,भला हो फेसबुक का जो पुरानी यादों को ,तारीख संग दोबारा याद दिलाता है ।जी मैं memories की बात कर रहीं हूँ। तो देखिए ना,4 साल पहले हुई नोट बंदी ने हमारी माताओं, भाभियों और बहनों को  कंगाल कर दिया ,एक एक, पाई वसूल कर ली और अफसोस भी न जताने दिया । मनस्थिति ऐसी की "चलो कम से कम नोट बेकार तो नही हुए घर वापस तो आए"। पर कितनों के  साड़ियों की तह में और भगवान के पूजा स्थान में ,या राशन के डिब्बे में ये तो वो जाने । नोट बंदी से देश का कितना फायदा हुआ ये तो पता नही पर यकीनन नुकसान तो महिलाओं का ही हुआ था। हमारे पूजनीय नेताजी क्या जाने की कैसी कठिन परिस्थितियों स...