गुप्त धन और गृह लक्ष्मी
आज अगर हमारे देश में किसी को सही में नुकसान हुआ है तो वह है हमारी पूजनीय माताओ और बहनों को जिन्होंने बहुत कटौतियों और मुश्किलों से एक एक पाई जोड़ कर घरेलू काला धन इकट्ठा किया है अमीरों का क्या उन्होंने तो रातों रात दुकान खुलवाकर काला धन को पीला सोना बना लिया ।ऊपर से अब बेंक बंद है तो अब हमारी जमा पूंजी सब के नज़र में।😪
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ये एक पुराना पोस्ट था ,नवंबर2016 का ,भला हो फेसबुक का जो पुरानी यादों को ,तारीख संग दोबारा याद दिलाता है ।जी मैं memories की बात कर रहीं हूँ।
तो देखिए ना,4 साल पहले हुई नोट बंदी ने हमारी माताओं, भाभियों और बहनों को कंगाल कर दिया ,एक एक, पाई वसूल कर ली और अफसोस भी न जताने दिया । मनस्थिति ऐसी की "चलो कम से कम नोट बेकार तो नही हुए घर वापस तो आए"।
पर कितनों के साड़ियों की तह में और भगवान के पूजा स्थान में ,या राशन के डिब्बे में ये तो वो जाने ।
नोट बंदी से देश का कितना फायदा हुआ ये तो पता नही
पर यकीनन नुकसान तो महिलाओं का ही हुआ था। हमारे पूजनीय नेताजी क्या जाने की कैसी कठिन परिस्थितियों से गुज़र कर किन किन कटौतियों को कर के वो गुप्त धन बना था जी नही वो काला धन नही ,वह तो हम महिलाओं की कारीगरी थी जो वक्त आने पर काम आती थी।
उस समय पर चाहे किटी पार्टी हो या चाय पार्टी या चाहे पड़ोसन से गपशप हर किसी ने अपनी साँस को या नंद या बहू के बारे में चुगली करना छोड़ दिया था।सब का मसला एक था गुप्त धन का पारिवारिक खुलासा और फिर तंगी।
आज इतने साल बाद भी जब कभी मेरी माँ फिर से अपना गुप्त खजाना आबाद करती है तो एक डर हमेशा सताता है कहीं ये भी न बंद हो जाये ,फिर से ना पोल खुल जाए। फिर भी नमो नमो करती वह और उसके जैसी कई गृहणियाँ अपने परिवार के आपात काल के लिए गुप्त धन का संचय कर ही रहीं हैं।।लोमा।।
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