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Showing posts from December, 2020

पालनहार

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 अश्रु भरे नयनों में ,दिल रहा पुकार। बेटी भयो  इस जन्म में,  पर अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो,                                            मेरे पालनहार।  मेरी उमर न उसकी सीमा,ना मेरा कोई सम्मान, वह  तो इंसानों के भेष में,जानवर  जो करे मुझ पर प्रहार। मेरि मय्या मुझे सिखाती, चाल चलन का पाठ। भाई बाबुल देते हमेशा ,हिदायतें हर पग बारम्बार। मेरा कसूर सिर्फ इतना है मैं जन्मी बिटिया , लाड़ जतन से मुझको पाले,मेरा पूरा परिवार। आँख का तारा मैं तो उनकी,करते सब ढेर सा प्यार। पर जो बाहर मैं जब जाऊँ,याद करे वो तुमको पालनहार। चाहे मैं नन्ही गुड़िया, या हूं यौवना ,इससे ना  उसको कोई सरोकार। चाहे गरीब हूँ, या अमीर ,या अनपढ़ या अफ़सर बडी सरकार। नज़र का भेद मुझे चीरता हर रूप  जाती के  पार। फिर भी देखो ये समाज क्यों दोषी माने, मुझको ही हरबार। घर की स्त्री को सुरक्षित रखता,बाहर करे रासलीला, ओढे बेशर्मी की शाल। देवी मान कर पूजी जाती, इस देश के हर आंगन में कइयों बार...

गुज़रा साल

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   अजीब साल था ,गुज़र गया  ,चलो अच्छा हुआ । कई सपनों को ले गया, किसीके अपनों को ले गया। अजीब साल था, गुज़र गया  ,चलो अच्छा हुआ । कोरोना का कहर बन ,सबपे बरस पड़ा था जो। हर एक को ख़ौफ़ज़दा ,कर गया था जो, बच्चों को स्कूल नही, पर क्लासेस दे गया, खेल के मैदानों में, घर का कमरा  बदल गया, जिस कामवाली के ना आने पर,दिन न होता था शुरू, उसके आने पे पाबंदी लगा गया। दोस्त यार सब घर पर ही मिलजाते हैं, सोशल मीडिया और ईनटरनेट का जादू चल गया। कैसा साल था,गुज़र गया,चलो अच्छा हो गया। घर बैठे मंगवाते सामान, एक कि जगह दस लाते श्रीमान। विंडो शॉपिंग का चलन ,अब खर्चा बढ़ा गया , अम्माज़ान (amazon) ने भी prime  मेंबर को लालच जो दिला दिया। वर्क फ्रॉम होम का चलन देखो अब ज़ोरों पे चल पड़ा , कुकर की सिटी और खाना मीटिंग से पहले बनने लगा। साल आया गुज़र गया ,वैक्सीन न आ सका। Election और जीत का देखो ज़ोर न कम हुआ । बेख़ौफ़ जनता घूमती है ,अपनी ही धुन में। लॉकडौन भी इनका देखों कुछ न कर सका। डॉक्टर बने भगवान फिर से एक बार, ताली थाली दीपसे इनका जो नमन हुआ। गरीब बेचारा सहमा सा ,बेकार फिर हुआ। जान जोखिम में डाल...

एक दिवस एक आस

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वर्ष 1989 में  विश्वा हिन्दू परिषद द्वारा अयोध्या में विवादित स्थल के पास किए गए राम मंदिर शिलान्यास से भाजपा और हिंदू संगठनों का उत्साह चरम पर था।  इस उत्साह को भुनाने के लिए सितंबर 1990 में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणीजी ने श्रीराम रथ यात्रा का आयोजन किया। ये आइडिया भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन ने दिया था। मकसद देशभर में लोगों को अयोध्या मूवमेंट के बारे में जागरूक करना और जोड़ना था। इस रथ यात्रा को लोगों का जबरदस्त साथ मिला। इसके बाद राम मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश में उठी लहर में दो वर्ष बाद 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) गिरा दिया गया। आज पूरे 28 सालों बाद देश का अधूरा काम पूरा होने की कगार पर है।शिलान्यास हो चुका है । नमो ने राम का घर  बनवा ही डाला । देश खुश है , नेता भी विजयी महसूस कर रहें हैं।  हम जैसे बहुतों के  लिए शायद वो तारिख 6 dec 1992 सिर्फ एक दिवस था।    आज के दिन कुछ को राम जन्म भूमि, तो कुछ को सांप्रदायिक दंगों का  विचार आता होगा ,पर मुझे तो इन सबसे परे, अपनी उस दोस्त का खयाल आता...