आजादी

                                                                                     PC: @ekcupt
 उड़ जा पंछी उन्मुक्त गगन के,
 पिंजर बंद ना तू रह पाएगा।
 तेरा जीवन मुक्त गगन का ,
कैद पिंजरे में तू न रह पाएगा।
 मुक्त गगन में पंख पसारे, 
धरती अंबर छूता जाए।
 वृक्ष-वृक्ष पर ,डाली -डाली पर ,
चहकता फुदकता तू फिरता जाए,
 हैं ऊंच -नीच ना भेदभाव के,
ना तुझ में कोई अंतर।
 धर्म जाति ना देश प्रांति का,
 ना तुझको कोई बंधन ।
उड़ता जा तू फिरता जा,
 देश प्रांत में चहकता जा,
 विश्व शांति और राष्ट्र अमन  का ,
संदेशा तू सुनाता जा।
 कैद न तुझको रख पाएगा, 
पिंजरा भी एक दिन खुल जाएगा,
 उड़ जाना तब तुम मुक्त गगन में ,
खुली चमन में अंबर छूने।
मुक्त हो अपने मुक्त गगन में।।लोमा।।

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आपके विचार मेरे लिए प्रेरणा स्तोत्र है।

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