परदा


 
हर राज़ का पहरेदार हूँ मैं,लाज शर्म की दीवार हूँ मैं।

घरों में झरोखों से आती,धूप और धूल की पहरेदार हूँ मैं।

नज़रों के इस बाज़ार की पलक हूँ मैं,

छुपा जाऊँ हर त्रुटि को हर भेद का पैबंद हूँ मैं।

पर्दा हूँ मैं, हर राज़ का पहरेदार हूँ मैं।

कई राज़ है देखे मैंने, कई वाकियो का चश्मदीद गवाह हूँ मैं। 

मुझे पता है हर सच का, हर पाप की पनाह हूँ मैं।

लोग बदले,सियासत बदली, हेरा फेरी के तरीके भी बदले,

हर तरीके ,तारीख की अनकही आवाज़ हूँ मैं।

पर्दा हूँ मैं,हर राज़ का पहरेदार हूँ मैं।।लोमा।।।

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