ख़ौफ

 

                                                                                                 Pc:  Ekcuptea
जब हुआ सामना ,अपने ही खोफ से।

                               दीदारे ख़ौफ़ ने रूह रुला दिया।

मौज़ों में कटती थी,अपनी तो ज़िन्दगी,

                    उस एक वाकिये ने दिल को दहला दिया।

सोचती हूँ मैं, गर यही है अन्तिम सच।

              तो क्यों हर पल ख्वाइशों को अपना बना दिया।

क्यों हर चाहत में थी, नई चाहत की ललक,

                     क्यों मिथ्या ने ,सुखों को प्रथम बना दिया।

न कोई था संगी,न कोई साथी,

      सबके आंखों में नीर,पर साथ नही किसी ने दिया।

जो था बहुत कमाया, उसको था बाँटना,

      इस सच को स्वीकार कर ,दिल को राहत दिला दिया।

 मेरा नही था कुछ, छह गज ज़मीन के सिवा।

  वो भी कुछ पल ही था साथ ,अग्नि को धरम बना दिया।

फिर, कुछ पल में शांत हुआ, राख ही रह गया।

           दीदारे खोफ ने देखो  रूह हिला दिया।

         उस राख को भी आखिर गंगा में बहा दिया।

      सब ने छोड़ दिया साथ खुद मैं को भी बहा दिया।।।                                   ।।लोमा।।


 


Comments

Popular posts from this blog

सनातन

गुमनाम मत

करोना मे दोस्ती