मुझ को भी डर लगता है

 हाँ मुझे भी डर लगता है,
हाँ मुझे भी डर लगता है जब कोई अपना बीमार होता है।
एक अनजाने डर का मुझे तब खोफ होता है,
सब कुछ ठीक हो जाएगा ये उम्मीद तो होती है,
पर दिल मे एक डर सा  भी होता है।
लाख छुपाऊं अपनी पीड़ा,
संबल बन अपनो को है जोड़ा,
कहाँ मगर ये दिल सुनता है,
हाँ मुझे भी डर लगता है।
मेरे डर से देखो कभी ना, मेरा विश्वास डोलता है,
मैं हुई जो कमज़ोर तो ,मेरे अपनों के बिखरने का डर लगता है,
हाँ मुझेभी डर लगता है, पर  कमज़ोर नही ये मन होता है।
रोने और घबराने को दिल करता है,
पर मुझे देख मेरे अपनों का विश्वास न डगमगाए ये डर लगता है।
एक अनजाना सा डर लगता है,दिल मे टीस सा वो उठता है।
अपनों के हौसलों के लिए डर तब दब जाता है,
फिर एक बार मन चलते रहने को कहता है,
धैर्य मेरा ही हिम्मत मेरे अपनों की ,
फिर दिल मन को समझाता है,
पर फिर मुझको भी डर लगता है,पर मेरा विश्वास नही है डोलता है।
हाँ मुझको भी तो डर लगता है।।लोमा।


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