चाहे यूट्यूब  खोलो या फेसबुक , न्यूज़ ही देेेख लो , हर जगह बस  कारोना का ही बोल बाला है ।

कहीं ऑक्सीजन की कमी ,तो कहीं बेड्स की ,कहीं मरीज़ों की मार्मिक तकलीफ, शायद ही कोई ऐसा मिले जो थोड़ा मन बहला दे। 

लगता है शायद पॉजिटिव रिजल्ट के खौफ ने सब की मानसिकता को  नेगेटिविटी में बदल दिया है ।

मेरे कहने का ये मतलब कतई नहीं है की हमें आंख मूँद  करके सच्चाई से भागना चाहिए ।

पर क्या ये ठीक होगा ,की हम सदा अपने चित्त को ,एक डर, एक अनजान भय में कस्ते जाएँ ।

जिसको भी देखो बस आंकड़े गिनता है ,सावधानियां  बताता है और अपनी पीडा का इज़हार कर सामने वाले इंसान को भी भयभीत और कमज़ोर बनाता है ।

पर हम इंसान भी बड़े ढीठ  होते है ,तभी तक हम डरते है ,जब तक हमारा दिल चाहता है  ।

जैसे ही कोई माया दिखती  है ,अपना सारा भय छोड़ -छाड़  कर सामान्य गतिविधियों  के आधीन हो जाते हैं ।

आज के इस महामारी के दौर में हमें चाहिये कि हम अपने सोच  को पॉजिटिव रखें ।

पता है मुझे कहना बड़ा आसान है ।

 जब कोविद का आतंक गावं ,मोहल्लें , अप्पार्टमेन्ट

से घट कर रिश्तेदारों और  दोस्तों तक  पहुँचती है ,तो सारी पाज़ीटिविटी,  धैर्य और  संयम छूमंतर हो जाता है ।

 कहना बड़ा आसान होता है, पर जिसपे बीतती है वही जानता है। ये सोला आने सही बात है ।

धैर्य का बांध टूटते ही हम अपनी कमज़ोरी को हावी कर लेते हैं ।

हमें चाहिए की हम अपने  आत्मविशवास और हिम्मत  को कम  ना होने दें ।

ऐसा माना गया है, कि, जब हम अपना आत्मबल कायम रखते हैं,

 तो हमीरी इम्युनिटी यानि रोग प्रतिशोध  की क्षमता ,अधिक काम करती है ।


खुश न सही खुश रहने का दिखावा तो हम कर ही सकते है 

मानती हूँ  इस महामारी के चलते खुश रहने का कारण ढूंढ़ना भी, मुश्किल हो रहा है ।

किसी का कोई, तो किसी का कुछ काम रुका पड़ा है।

 ऐसे में हमें चाहिए, की मन को प्रसन्न रखने की कोशिश करें ।

इलाज  ,सावधानियां  और कोशिशे  कब चिंता और दुःख का रूप ग्रहण कर लेती है पता ही नहीं चलता 

आज की इन परिस्तिथियों में ,हमें चिंता की नहीं अपितु सय्यम और खुश रहने की ज़रुरत है ।

करीब -करीब एक डेड साल बीत चुका है। 

हर कोई, पूर्ण रूप से जागरूक हो चला है ।

सभी को ,मास्क ,सैनिटाइजर और दूरी का, यानि ,ज़रूरी सावधानियों और आवश्यक इलाज की पूरी समझ है ।

तो क्यों न हम अब positivity with care का  स्लोगन फैलाएं ,थोड़ा माहोल को खुशनुमा बनाए।


सुबह उठ कर, ज़रूर आंकड़े देखे ।

आरोग्य सेतु  में, जरूर अपडेट दे ,और जानकारी लें ।

पर  सोशल मीडिया और घर परिवार में डर का नहीं ,

बल्कि एक, खुशनुमा माहोल बनाये  ,सावधानी बरतें ,हिदायतें दे ,पर भय और चिंता को छोड़ कर ।


ख़ुशी बाँटने से बढ़ती है ।

टेंशन बढ़ाने से इम्युनिटी घटती है ।

 चिंता चिता  का द्वार है ।

सावधानी हटते ही  दुर्घटना घटती  है ।।


BE SAFE  THINK POSITIVE AND BE HEALTHY 

Loma.........

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