उड़ान

 जब दिया पूरा आकाश तुझे ,

क्यों डोर तेरी मैं कसती जाऊँ,

तू पतंग नही ,इस आसमान में ,

ढील देकर तुझे ,मैं जो लपेट लगाऊं।

तू तो मेरी चिरैया प्यारी,

गगन में स्वछंद तुझे है उड़ना,

तुझे देख मैं गद गद हो जाऊं।

पंख पसारे देख तुझे मैं,

खुश हो तुझ संग उड़ती जाऊँ।

तेरे सपनों को ,अपनी आँखों में ,मैं तो हर पल सजाऊँ।

मेरी चिरैया,  तब तुझ संग मैं भी तो उडती जाऊँ।।लोमा।।


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