राम राज्य का आवाहन
अयोध्या में श्री राम को बुलाया कई वर्षों बाद है।
देखो आशा भारत में फिर एक बार लाना रामराज्य है
भाईचारा न केवल बंधुवो में ,
अब तो सबमे करना इसका प्रचार है।
प्रचार न केवल मौलिक हो ,
करना इसका अनुगमन हो अनिवार्य है।
देखो भारत में आए फिर एक बार स्वयं श्री राम हैं।
मंदिर में विराजित कर, इनको पीड़ा हमें ना देना है ।
सब भारतवासियों को यह बीड़ा खुद पर लेना है ।
सभी को देखो पता राम है।
उनके कर्म और उनका त्याग, इनका न्याय अपरंपार है ।
सुना है सबने ,देखा सब ने ,
यह युग तो संचार का निजी पिटारा है ।
पीढ़ी दर पीढ़ी सुनते सुनते ,
अब देखो इस युग में इसका प्रसारण भी देखा है।
कभी पत्रिका तो ,कभी टीवी पर ,
रामलला को देखा और जाना है।
पर देखो कलयुग की माया में नहीं अब उलझना है।
सतयुग का आह्वान हमें इसी कलयुग में देखो करना है ।
माया ,अराजकता ,शोषण और अनीति
को हमें तजना है ।
त्याग,अहिंसा,न्याय और बलिदान का
आभूषण हमें धरना है।
केवल राम नाम का जाप ही नही राम राज्य को बनाता है ।
इस कलयुग में देखो हर मानव को
होगी देनी परीक्षा है ।
मर्यादा पुरुषोत्तम बनना
हर किसी के बस का खेल नहीं है।
त्याग का आलिंगन और अहंकार का विसर्जन,
हर मानव के बस का रोग नहीं है ।
शबरी का झूठा बेर खाकर वह
पुरुषोत्तम कहलाया था।
न्याय के खातिर सीता को फिर
त्याग कर वनवास पहुंचाया था ।
वीर योध्दाऔर न्यायशील बन हर कुरीति को हराया था ।
धैर्य बल और मर्यादा संग पुरुषोत्तम वह कहलाया था।
सत्य वचन है युगों का चक्र है युग सारे एक चक्र में है ।
सत्य,त्रेता ,द्वापर ,कलयुग काल सभी पूरे हुए जग मे हैं।
फिर से देखो सतयुग आने को व्याकुल है।
प्रभु राम के राज्याभिषेक से देखो भारत पवित्र होने को है।
राजनीति की दाएं बाएं में देश खंडित होने से बचने को है।
नमो नमो करता हर राज्य अब रामराज्य होने को है।
देखो सबके दिलों में राम अब घर करने को है।
रामचरितमानस को हर मानव को दोहराना है।
रामसिया,अनुज लखन संग बजरंगबली का आशीश पाना है।
राम मंदीर मे इनको विराजमान कर
सबको एक जुट हो जाना है। लोमा।।।
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