साथी
जो बीत गया ,वो बात गई।
उड़ती चिड़िया के पर क्यों गिनता है
जो हाथ तेरे वही अपना है।
क्यों चिंता कर दूजे की
अपने दुख को जीता है।
जो साथ तेरे ,दूर सही पर दिल के तार मिले,वही तेरा अपना है।
जो साथ नही, दिलों का मेल नहीं,
वो बेगाना कब तेरा अपना है।
छोड़ चिंता बेगानों की ,
क्यों पगपग हर पल को खोता है।
जो तेरे सुख में खुश होता है।
जो तेरे दुख में आंसू रोता है।
जिसकी हसीं तेरा जोश बढ़ाए।
जिसकी उदासी तेरे अंखियों में आंसू लाए।
वो साथी तेरा अपना है।
जिसकी याद तुझे मुस्कुराहट दे।
जो हाथ में तेरे हाथ धरे।
जो हाथ तेरे वही अपना है।
क्यों चिंता कर दूजे की
अपने दुख को जीता है।
जो बीत गया ,वो बात गई।
उड़ती चिड़िया के पर क्यों गिनता है। लोमा।।
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आपके विचार मेरे लिए प्रेरणा स्तोत्र है।