समय
मुझे आज ही पता चला कि लड़कियों के निकलने का समय होता है।
सूरज ढलने के बाद क्यों की इनसे बलात्कार होता है।
चाहे वो हो विद्यार्थी नर्स, हो या हो फिर माई ।
गलती उसकी वह समय न देख पाई।
क्या गर गलत वहां हुआ तो यहां होना युक्ति है।
औरत हो औरत को सताना कहां की बुद्धि है।
राजा ही जब साथ छोड़ दे ,तो प्रजा कहां सुरक्षित है।
कभी वस्त्र तो कभी रात्रि का इस पर हुआ प्रकोप है।
गर ऐसा है तो क्यों नवजात बनती शिकार और दिन में भी होता ऐसा विध्वंस है।
नारी नहीं है अबला कर सकती पापियों का नाश है ,
पर रावण और महिषासुर का देखो अब तो यहां राज है।
रक्षक ही भक्षक बन बैठे ,कलयुग में हा हाकार है।
समय देख निकलना गुड़िया ,रात को न तुम काम पे जाना ,कपड़े पूरा ढक कर पहनो,गर तुमको है मान बचाना।
होगी तुम किसी और की इज़्ज़त, उन दरिंदो को नहीं परवाह।
बर्बरता को जो धर्म बना ले ,दंड की कहां उन्हें परवाह।
जब पालनहार ही हाथ झाड़ ले ,
और दर्शक है मूक खड़े।
तब दामिनी,सत्या हो या निर्भया,
कैसे निर्भय हो किसी ओर चले।।। लोमा।।
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