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Showing posts from April, 2021

अभागा कॅरोना

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 जाने कैसी किस्मत ले कर आया , जन्मदिन ना किसी ने मनाया।  उम्र बड़ी 1 साल हुआ , वह भी थोड़ा बड़ा हुआ । हरकतें बड़ी म्यूटेशन हुआ,  वह भी इन्फेंट से अब चाइल्ड बना।  पर देखो किसी ने ,ना प्यार किया , ना ही खुशी का इज़हार किया । जाने कैसी किस्मत लेकर आया,  जन्मदिन न किसी ने मनाया । दिन गुजरे फिर देखो इसका खेल बड़ा,  देखो कितना एक्टिव हुआ , पर ना खुशी किसी को यह दे पाया , जहां गया बस वायरस का डर फैलाया , घर-घर डरता अपनाने से , बेचारा फिरता बेगाने से।  दुनिया सारी फिरता जाए , कोई भी नहीं इसे दिल से अपनाए।  देखो कैसी किस्मत लाया ,जन्मदिन भी न किसी ने मनाया।  पॉजिटिविटी पर सबका ध्यान , पर  पॉजिटिव टेस्ट  रिजल्ट से  सभी परेशान । करोना से बचने के करते उपाय,  हर इंसान खुद को लाचार पाए।  फिर भी देखो लड़ता जाए,  सैनिटाइजर मास्क और दूरी बनाए । देखो एक दिन ये हार जायेगा, वैक्सीनेशन जब हर कोई लगाएगा। करोना घर घर ना फैल पाएगा।  अल्पायू का आशीर्वाद लेकर,  देखो यह फिर न कभी अपना जन्मदिन मनाएगा।लोमा।।।

जाने कहाँ गए वो दिन

जाने कहां देखो, वो दिन गया जी,  साल 2 साल पहले, इधर ही था जी।  किसी की करतूतों से, गुम गया जी  आज के वायरस से डर गया जी । देखो जी डर के, मास्क भी पहन लिया।  फिर दूरी भी अपनाई ,डर को भी बिठा लिया।  चीनी देखो लाए ,दुनिया में इसे बेकार रे। जल्दी से दवा ढूंढो, मरने लगी अवाम रे।  जाने कहां देखो वो दिन गया जी । साल 2 साल पहले ,इधर ही था जी।  सब कोई ,नियम से देखो ज़रा काम लो । कर लो सोशल डिस्टेंसिंग ,दूरी से ही सलाम लो।  फिर तो ना फैलेगा , यह वायरस बड़ा ढीठ। सैनिटाइजर लगा के, हाथों को जमदार से । जाने कहां देखो, वो दिन गया जी,  साल 2 साल पहले, इधर ही था जी।  किसी की करतूतों से, गुम गया जी  आज के वायरस से डर गया जी   सच्ची-सच्ची कहते हैं, भगाओ इसे  रे।  वैक्सीनेशंस से  इसका ,इलाज करो रे।  बातें हैं पते कि, मैं तो यह समझाऊँ।  मानो मेरा कहना, करोना भगाओ। स्कूल  भी छूटा रे , नौकरी भी गई रे । इसके चलते देखो फंक्शन ना रहे रे।   जाने कहां देखो, वो दिन गया जी,  साल 2 साल पहले, इधर ही था जी। ...

अंजाम

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ना कंधा मिलेगा ना जनाज़ा उठेगा,मौत ऐसी होगी जिसमें ना ज़मीन भी मिलेगा। अग्नि से वंचित ,गंगा में न अर्पित,कब्र भी कहाँ देखो अब तो यहां मिलेगा। खेल ऐसा हमसे ,ये देखो खेल रहा है ,अब दोस्त यारों को न अंतिम दर्शन भी मिलेगा। मौज़ में  इंसान ने देखो,हर नियम को तोड़ा है , अब हम को देखो अपने ही कर्म का दंड है मिलेगा। मास्क लगाना देखो ,कितना सरल था उपाय ,  पर नाक और मुह को छोड़ गर्दन पर थे लटकाये। दूरी रखना था ज़रूरी, पर दिल को न रोक पाए, हर त्योहार और समारोह में देखो ,हम नज़र आये। करनी का है ये  फल तो ,भुगतना हमे पड़ेगा, छह गज़ की ज़मीन को भी सांझा करना पड़ेगा। गर मान जाते नियम  हम, मास्क लगा दूरी हम बनाते। दो चार महीनों तक घर से भी कम ही जाते। सलामत रहते और  कल का सहर देख जाते। समझ जाते गर इस तथ्य को , सांसो के चलने के लिए ,कदमों को रोक पाते। ये रोग है अजूबा, खुद को तो डूबाता है , संग अपनों का भी देखो ,दुर्गत ये कर जाता है। फैला ये सारे विश्व में, मिलजुल कर फैलाया है। हर  शख्स को देखो,खुद में बदलाव अब लाना है, अपने लिए नही ,अपनो के लिए , सतर्क हो जाना है। अंजाम से डरेगा,फ...

विदाई बगैर शादी

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 बिटिया भयो  पराई, रीत है पुरानी , बदले समाज और युग ने बदली ये चाल पुरानी बेटी हो या बेटा अब तो भयो  परायो ना शहर से, ना घर से ,वे तो देश से ही हैं जाते । दूरी न फिर भी कोई ,देखो दूरी दिलों में लाते।  योवन में देखो पहले ,पढ़ने को वो है जाते , आधे अधूरे देखो, बचपन को वो है बिताते, ऊँची बहुत है मंजिल, यह हम बचपन में है उन्हें सिखाते । फिर तेईस की उम्र में वह हमें यही है समझाते। तालीम हो या नौकरी ,घर से नहीं है मुमकिन , अब देखो पंछी फुर्र से ,पिंजरे से उड़ ही जाते । सपना लिए आंखों में ,दिल में टीस जुदाई का ,              हर एक को देखो वो पल ,दुखद तो कर ही जाए। सोच बनाए आधुनिक, फिर भी दिल को कैसे समझाएं  विदाई बगैर शादी ,अब रीत यह प्रचलित हो जाए।   फिर क्यों यह मन ,बिछड़ने पर ,उदास होता जाए । बदलते दौर और परिस्थिति, हम को मजबूर बनाते , मां-बाप के थे ,जो सपने, अब बच्चों के ख्वाब बन जाते।  वीसा और छुट्टियों के ,घेरे में कैद कर जाते, दिल मचलता जब है ,फोन हम उठाते,  पर समय का अभाव बता ,बच्चे रोक लगाते । उनक...

परदा

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  हर राज़ का पहरेदार हूँ मैं,लाज शर्म की दीवार हूँ मैं। घरों में झरोखों से आती,धूप और धूल की पहरेदार हूँ मैं। नज़रों के इस बाज़ार की पलक हूँ मैं, छुपा जाऊँ हर त्रुटि को हर भेद का पैबंद हूँ मैं। पर्दा हूँ मैं, हर राज़ का पहरेदार हूँ मैं। कई राज़ है देखे मैंने, कई वाकियो का चश्मदीद गवाह हूँ मैं।  मुझे पता है हर सच का, हर पाप की पनाह हूँ मैं। लोग बदले,सियासत बदली, हेरा फेरी के तरीके भी बदले, हर तरीके ,तारीख की अनकही आवाज़ हूँ मैं। पर्दा हूँ मैं,हर राज़ का पहरेदार हूँ मैं।।लोमा।।।