Posts

समय

मुझे आज ही पता चला कि लड़कियों के निकलने का समय होता है। सूरज ढलने के बाद क्यों की इनसे बलात्कार होता है। चाहे वो हो विद्यार्थी  नर्स, हो या  हो फिर माई । गलती उसकी  वह समय न देख पाई। क्या गर गलत वहां हुआ तो यहां होना युक्ति है। औरत हो  औरत को सताना कहां की बुद्धि है। राजा ही जब साथ छोड़ दे ,तो प्रजा कहां सुरक्षित है।  कभी  वस्त्र तो कभी रात्रि का इस पर हुआ प्रकोप है। गर ऐसा है तो क्यों  नवजात बनती शिकार और  दिन में भी होता ऐसा विध्वंस है। नारी नहीं है अबला कर सकती पापियों का नाश है , पर रावण और महिषासुर का देखो अब तो यहां  राज है। रक्षक ही भक्षक बन बैठे ,कलयुग में  हा हाकार है। समय देख निकलना गुड़िया ,रात को न तुम काम पे जाना ,कपड़े पूरा ढक कर पहनो,गर तुमको है मान बचाना। होगी तुम किसी और की इज़्ज़त, उन दरिंदो को नहीं परवाह।  बर्बरता को जो धर्म बना ले ,दंड की कहां उन्हें परवाह। जब पालनहार ही हाथ झाड़ ले ,  और दर्शक है मूक खड़े। तब दामिनी,सत्या हो या निर्भया, कैसे निर्भय हो किसी ओर चले।।। लोमा।।

बिटिया

दिल खिल उठा ,बिटिया जवान हो गई। कल तक थी large में फिट आज xl में बात बन गई। सुनती थी डोरमन और शिन शान वो आज kpop और bts की फैन हो गई। धड़क ऊठा दिल बिटिया जवान हो गई। मुश्किल था जिसका चुटिया बनाना, आज हेयरस्टाइल्स बनाकर अपने   आईने को हमराज बना वो गई। सोच जिसकी मासूम और नन्ही परी दीवानी सी थी देखो वो तो सयानिसी आज इक युवरानी सी हो गई। नन्ही गुड़िया मेरी देखो अब तो हर सवाल की जवाब बन गई। प्यार है या बहलावा ,धोका है या विश्वास देखो समझ उसको हर बात की हो गई। कब न जाने पेंसिल छोड़ वो पेन की आदि हो गई कब टीवी से जुदा हो कर मोबाइल की संगी बन गई।  उंगली थामे चलती थी वो,आज हाथ थाम मेरा सहारा बन गई।  मेरी नसीहतों को देखो सुनते सुनते ,जाने कब वो मेरी दोस्त सलाहकार बन गई। देखो तो मेरी बिटिया जवान हो गई। दिल को धड़का गई ,मेरी  गुड़िया  जवान वो हुई । मेरा गुरूर और नाज वो बन गई। देखो नन्ही सी परी आज युव रानी बन गई दिल खिल उठा खुशी से देखो मेरी बिटिया सयानी हो गई।  लोमा।।

प्रकोप

यह कथा प्रयागराज की है, जो मेरा ननिहाल है। हम सभी नानी की बरसी पर वहां गए थे। सुबह से ही हवा का बहाव तेज था, मानो प्रकृति ने कोई विशेष सभा बुलाई हो। मेरे नानाजी एक सफल पर्यावरण विशेषज्ञ रहे हैं। वह चिड़ियों की भाषा जानते थे और पेड़ों से संवाद करते थे। बचपन में हमें लगता था कि वह बस कहानियां बना रहे हैं, पर समय के साथ उनके ज्ञान का अनुभव हुआ। शाम को दादाजी कुछ विचलित से दिखे। सोचा नानी की याद आ रही होगी, लेकिन अगली सुबह मैंने उन्हें बगीचे में पक्षियों से बात करते देखा। मैं चुपचाप उनके पास जाकर बैठ गई। उन्होंने कहा, "मिताली, पक्षियों ने मुझे बताया है कि जल्द ही एक तूफान आ सकता है। भारत के सभी प्राचीन वृक्ष एक महासभा करने जा रहे हैं।" यह सुनकर मैं चौंक गई। दादाजी ने समझाया कि अक्षयवट, जो जीवनी संगम में स्थित है, ने यह संदेश भेजा है। इस सभा में देश भर के ऐतिहासिक वृक्ष – जैसे अनंतपुर का बरगद, चेन्नई का बेर वृक्ष, पंजाब का चिनार, श्रीनगर का बौद्धिक वृक्ष – सब भाग लेंगे। विषय है – प्रदूषण, वृक्षों की कटाई और घटती प्रजातियाँ। मैंने पूछा, "दक्षिण और उत्तर के पेड़ एक-दूसरे से संप...

होली आई रे ।

Image
रंगों की फुहारें आई, देखो मेल-मिलाप की ऋतु है छाई। हर वर्ग और उम्र की दुलारी, आई-आई रे, होली आई! हर घर देखो खुशियाँ छाई। कई रूप हैं, कई कथाएँ, हर प्रांत में विविध नाम से मनाएँ। लठमार कहीं, तो फूलों से होली, उत्तर में रंग-बिरंगी टोली। राजस्थान में शाही लोक संस्कृति की होली। कहीं भगोरिया, कहीं फगुआ की मस्ती है होली। बंगाल में ढोल यात्रा और  बसंती है होली। मटकी फोड़ है महाराष्ट्र  की होली। हुड़दंग भरी गुजरात की होली, हॉल मोहल्ला पंजाब की टोली। धूलंडी से हरियाणा  की होली। कृष्ण-राधा की रासलीला है होली। मैया संग कान्हा के प्रश्न का उत्तर है होली। गोरी राधा को श्याम रंग में,  रंगने की चाहत है होली  प्रह्लाद की भक्ति, होलिका का दहन, असत्य पर सत्य की जीत का  चलन। बिरसा मुंडा का संकल्प है होली, झांसी की रानी की क्रांति में भी है होली। रंगों का खेल नहीं केवल, अत्याचार और अन्याय का विरोध  भी है होली। हर युग में होली की कथा है अलग, हर उल्लास की पिचकारी है अलग।  कहीं गुजिया तो कहीं ठंडाई पसंद है । संग मनाते होली है मिलजुल कर,  रंग लगाते  हैं सभी बैर ...

हैप्पी रहना सीखो

जब रिश्ते रुलाने लगे तब इग्नोर करना सीखो। जिंदगी काफी आसान हो जाएगी हैप्पी रहना सीखो । रो कर नहीं मिलता कुछ भी , तब क्यों दिल पर लेना उसको ,थोड़ा मुस्काओ ग़म भुलाओ और हैप्पी रहना सीखो । प्यार बाटों नफरत नहीं,खुल कर जीना सीखो जिंदगी छोटी नहीं, नाहीं ग़म भुलाने लायक, औरों के लिए नहीं ,पर खुद के लिए हैप्पी रहना सीखो । और भी ग़म है ज़माने में, खुद पर से जरा नज़र हटा कर तो देखो,किस्मत पर अपने  रश्क खाओ और खुद के लिए हैप्पी  रहना सीखो । पता है ,कहना आसान है,इसी बात का अभी दिल में उफान है ,जिस पर बितती  वही जाने वाले खयाल बेहिसाब हैं  फिर भी दोस्तों अपनों के लिए खुद को बदल कर देखो और फिर खुद के लिए हैप्पी रहना सीखो। । लोमा।।

सनातन

सनातन है आज की आवाज, पर नहीं है यह आम  सी बात,  वेदों की गूंज, ऋषियों का ज्ञान, सत्य, अहिंसा, धर्म का मान। करेंगे जब हम सनातन का सम्मान  तभी बन पाएगा उन्मुक्त समाज  नहीं बनना  शरणार्थी हमें  अपने ही देश में। मेज़बान हैं हम करते स्वागत हर मेहमान का अपने देश में। अतिथि देवों भवा और अनेकता में एकता  नारे हमारे सदैव हैं। पर अन्याय और घुसपैठ का भी करते हम विरोध सदैव हैं। राणा प्रताप,और लक्ष्मीबाई जैसे कई इसके योद्धा हैं। भारत का मंथन कर हमें सनातन को बचाना है। आज की जरूरत  देखो ,सनातन का सम्मान है। न आदि ना अंत शाश्वत का रूप  सनातन है। जाति नहीं , कोई भेद,सबसे ऊंचा सनातन है।  सनातन की सीख है यह ,प्यार बांटो, नफरत नहीं। बट कर  कटना नहीं हमें है। संग रह कर , सनातन का, प्रचार करना अब  हमें है। सनातन करे मानव उद्धार। कर्म प्रेम और सद्भाव का प्रसार। गीता रामायण वेद पुराण और उपनिषदों से उज्वलित है सनातन। कर्म का ज्ञान है सनातन। जीव का मूल मंत्र है सनातन। विदेशियों ने सनातनियों को हिन्दुओं का  था नाम दिया। सिंधु से हिंदू बना हिंदुस्ता...

आशा

Image
 हिन्दी को जब हर भारतीय जानेगा  तब India भारत बन जाएगा।  हर कुएं से जब भगवान प्रकट हो जाएगा। तब हर गली मोहल्ले में राम नाम सुन पाएगा। आसान नहीं देखो,भारत को है बनाना, अपने संविधान को बचाना,हिंदुत्व को जगाना। कई नेता और गुरुओं का नारा बन तब होगा यही अफसाना। जब होगा हिंदुत्व का,समाज के रग रग में बसेरा तभी होगा एकमत का फसाना। सारे जहां से अच्छा ,हिंदुस्तान को है दिखाना। देखो सर्वोपरि इसकी ख्याति,हर क्षेत्र में है दिखाना। वसुदेव कुटुंबकम् का ,संस्कार भी है निभाना पर अपने शत्रुओं का ,उद्धवंस भी है करना। बटेंगे तो कटेंगे ,का नारा है याद रखना। सिर्फ शब्दों में ही नहीं,इसको कर्म में भी है अपनाना। हिंदुत्व है सनातन ,इस का अर्थ है समझाना। केवल राजनीति में ही नहीं, हर भारतीय को भी है समझना। इस समझ को जब हर भारतीय अपनी सोच बनाएगा। तभी देखो अपना India भी भारत बन जाएगा। हर घर तिरंगा लहराएगा। आशा है इक बार  फिर , हर भारतीय तब जय हिंद पर अपने हाथ उठाएगा। ।। लोमा।।

गुमनाम मत

Image
देखो, देखो दिन ढल गया, मतदाताओं के अधिकार की अब शाम हुई। आधा-अधूरा देखो, मतदान भी अब विराम हुई। किस्मत देखो लोगों की, ५ साल के लिए बंधक हुई। कौन जीतेगा, कौन विपक्ष संभालेगा, किसका राज आम आदमी को रास आएगा। नतीजा अभी बाकी है, स्याही चुनाव चिन्ह की भी अभी बहुत बाकी है। ना अंकित कर पाए अपने उंगली में चुनाव चिन्ह, देखो, कितने का अधिकार अभी बाकी है। बेचारे मतदाता फंसे कई नौकरी के बोझ में, घंटा-दो घंटे के ब्रेक के झोल में। न गए वो, न लेजा सके घरवालों को बूथ में, कई घरों की बनी कहानी यही, अनचाही हुई। ऑफिस में है ताले पर ,घर से दफ्तर की हाजरी अनिवार्य हुई। देखो गणना में कैसे  यह घोटाला,  अनजानी सी हुई, कहीं तो मत नौकरी के चलते, तो कहीं अलग राज्य में रहते, अधिकारों की आहुति हुई। इक-दो नहीं, हजारों की यही दुखद कहानी हुई, चाह कर भी न सरकार फिर, ना मनचाही हुई। गुमनाम मतों की देखो हर बार की वही कहानी हुई। देखो फिर दिन ढल गया, रात अब स्याह हुई, फिर पांच साल की कहानी देखो वही पुरानी हुई।।।। इस आधुनिक युग में, जब हर काम उंगलियों पर होता है, लाखों-करोड़ों का लेनदेन इक छह इंच के डब्...

साथी

Image
 जो बीत गया ,वो बात गई। उड़ती चिड़िया के पर क्यों गिनता है जो हाथ तेरे वही अपना है। क्यों चिंता कर दूजे की अपने दुख को जीता है। जो साथ तेरे ,दूर सही पर दिल के तार मिले,वही तेरा अपना है। जो साथ नही, दिलों का मेल नहीं, वो बेगाना कब तेरा अपना है। छोड़ चिंता बेगानों की , क्यों पगपग  हर पल को खोता है। जो तेरे सुख में खुश होता है। जो तेरे दुख में आंसू रोता है। जिसकी हसीं तेरा जोश बढ़ाए। जिसकी  उदासी तेरे अंखियों में आंसू लाए। वो साथी तेरा अपना है। जिसकी याद तुझे मुस्कुराहट दे। जो हाथ में तेरे हाथ धरे। जो हाथ तेरे वही अपना है। क्यों चिंता कर दूजे की अपने दुख को जीता है। जो बीत गया ,वो बात गई। उड़ती चिड़िया के पर क्यों गिनता है। लोमा।।

राम राज्य का आवाहन

Image
अयोध्या में श्री राम को बुलाया कई वर्षों बाद है।  देखो आशा भारत में फिर एक बार लाना रामराज्य है  भाईचारा न केवल बंधुवो में ,             अब तो सबमे करना इसका प्रचार है।  प्रचार न केवल मौलिक हो ,             करना इसका अनुगमन हो अनिवार्य है।  देखो भारत में आए फिर एक बार स्वयं श्री राम हैं।  मंदिर में विराजित कर,  इनको पीड़ा हमें ना देना है । सब भारतवासियों को यह बीड़ा खुद पर लेना है । सभी को देखो पता राम है। उनके कर्म और उनका त्याग, इनका न्याय अपरंपार है । सुना है सबने ,देखा सब ने ,            यह युग तो संचार का निजी पिटारा है । पीढ़ी दर पीढ़ी सुनते सुनते ,  अब देखो इस युग में इसका प्रसारण भी देखा है। कभी पत्रिका तो ,कभी टीवी पर ,                     रामलला को देखा और जाना है।  पर देखो कलयुग की माया में नहीं अब उलझना है।  सतयुग का आह्वान हमें इसी कलयुग में देखो करना है । माया ,अराजकता ,श...