नज़र

जब उस नज़र से हुआ सामना, तब बाबुल की कही बात याद आई , बोले थे बिटिया, "तू तो है मेरे नज़रों का नूर मेरी बगिया का फूल , तुझसे ही है मेरे गुलशन की हर खुशी है आई , पर बेटा ना भूलना तू यह बात , हर नजर नहीं होती ,पिता भाई जैसे ज़ज़्बातों के साथ । इस दुनिया की रीत है, हर लड़की को समझा जाता खेलने की चीज़ है , ना घबराना इस रीत से, तुझे पाला भले ही मैंने प्रीत से, पर है खबर, मुझे तू नहीं है अबला , इस सदी की तू है दुर्गा, अन्याय ना सहना कभी तू, ना अपने अस्तित्व का करना कभी समझौता तू । निडर होकर नज़रों का करना तू सामना, ना चाल,ना सृंगार ,ना ओढनी ,ना पेशा, ना ही किसी बंधन ने, इस दरिंदगी को रोका । ये तो है प्यासे , है बस नज़र ही है प्यासी , हैवानियत इनमें बसी ,ना बहन है ना भाई। बिटिया रहना तुझे है ,इन्हीं दरिंदों की भीड़ में, हिम्मत तेरी है ,तेरी शक्ति सदैव ही । नज़रों की भीड़ से ,तुझे रहना हमेशा सतर्क ही, थोड़ी सी सावधानी, थोड़ा सा आत्म बल , थोड़ा जो तूने दिखाया, समय पर बुद्धि बल , सब नज़रें झुक जाएंगी ,दरिंदगी यह घबरा जाएगी, कर अ...